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होलरी-होलरी, हे होलरीsssहोलरीऽऽऽ
हे होलरी, होलरी-होलरी
होलरी-होलरी, हे होलरी
हेsssहेऽऽऽ, होलरीsssहोलरीऽऽऽ, होलरी-होलरीsssहोलरीऽऽऽ
बाँध रहे गमछी में झपट-छउँक
एने लपक-ओने लपक, तेलहन की झूँसी, अरहर की झाँखी
तीसी की तिलाठी, पाँजा-पाँजा उठा रहे कि मची रेरी, 'धर तs तऽ रे नतियन को, मूँड़ी अइठवनन को धर तsतऽ'
घर-घर की बुढ़िया निकलीं लिए लबदा, निकलीं बहरी मार-भगाने को, पर छौने-छोरे बड़े फुर्तीले, फुर्र-फुर्र
उड़ गए, इस-उस खोरी, बुढ़िया भगाएँ, कितना भगाएँ, ऊ भी कहँवा तक, जब आपन पोतवा
भी करे, 'हे होलरी, होलरी-होलरी, होलरीsssहोलरीऽऽऽ', गावे दुआरे-दुआरे, दुआरी-दुआरी'हे समतs गोसाईं दसगो गोइंठा दsदऽ, तोहार बाल-बाचा जिए दसगोगोइंठा दsदऽ', और ऊ देतीं भी तो दु-चार ही, पर
इतने से कइसे जरेगी समत
खेत-बधार छोरे-छोर, दुलकी चाल से भगा रहीं बुढ़िया, देख-देख
खिड़की से लगा रहीं ठहाके, नइकी-पुुुरनकी पतोहुएँ, दूर भगा लौट रहीं बुढ़िया, तो उनके बुढ़ऊ खीस में
घोल रहे और खीस, पछुआ खोंस मचाने लगे शोर, 'हे होलरीsssहोलरीऽऽऽ, होलरी-होलरी, होलरीsssहोलरीऽऽऽ', पिनपिना
गईं बुढ़िया कि, 'हई देखो रे, हई बुढ़वन को, जोम में लौंडा बन रहे', दौड़ा दिया उन्हें भी लिए
लबदा कि, 'आओ, अउर कउँचाओगे, आओ', अइसे में उनके मरद भी, लकड़ी
की चइली मिली, चाहे टूटल-फाटल चौखट-खटिया, उठा दे आए
छोकड़ों को गाते कि, 'हे समतs समतऽ गोसाईं दुगो बुद्धिदs, हमार बुढ़िअन के दुगो बुद्धि दsदऽ'
फिर भीरी आ, भरने लगे अँकवार
हे होलरी, होलरी
होलरीsssहोलरीऽऽऽ, हे होलरी, होलरीss होलरीऽऽ !
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