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वह जगा क्‍या था जहाँ अवसाद छाया,
:::छा गया आल्‍्हादअह्लाद,
::::::वह जगा क्‍या बिछ गई आशा किरण
:::::::निवार्ण!
शेष अंश शीघ्र वह चमकता था, मगर था कब लिए, :::तलवार पानीदार, वह दमकता था, मगर अज्ञात थे :::उसको सदा हथियार, ::::::एक अंजलि स्‍नेह की थी तरलता में :::::::स्‍नेह के अनुरूप, किन्‍तु उसकी धार में था डूब सकता :::देश क्‍या, संसार; :::::::स्‍नेह में डूबे हुए ही आपका प्राप्‍त तो हिफ़ाज़त :::::::से पहुँते पार, ::::::स्‍नेह में जलते हुए ही तो कर सके हैं :::::::ज्‍योति-जीवनदान, :::हो गया क्‍या देश के ::::::सबसे तपस्‍वी दीप का :::::::निर्वाण!  स्‍नेह में डूबा हुआ था हाथ से :::काती रुई का सूत, थी बिखरती देश भर के घर-डगर में :::एक आभा पूत, ::::::रोशनी सबके लिए थी, एक को भी :::::::थी नहीं अंगार, फ़र्क अपने औ' पराए में न समझा :::शान्ति का वह दूत, ::::::चाँद-सूरज से प्रकाशित एक से हैं :::::::झोंपड़ी-प्रसाद, :::एक-सी सबको विभा देते जलाते :::::::जो कि अपने प्राण, :::हो गया क्‍या देश के ::::::सबसे यशस्‍वी दीप का :::::::निर्वाण!  ज्‍योति में उसकी हुए हम यात्रा :::के लिए तैयार, की उसी के आधार हमने तिमिर-गिरि :::घाटियाँ भी पार, ::::::हम थके माँदे कभी बैठे, कभी :::::::पीछे चले भी लौट, किन्‍तु वह बढ़ता रहा आगे सदा :::साहस बना साकार, ::::::आँधियाँ आई, घटा छाई, गिरा भी वज्र बारंबार, ::::::पर लगता वह सदा था एक- :::::::अभ्‍युत्‍थान! अभ्‍युत्‍थान! हो गया क्‍या देश के ::::::सबसे अचंचल दीप का :::::::निर्वाण!  लक्ष्‍य उसका था नहीं कर दे महज़ :::इस देश को आज़ाद, चाहता वह था कि दुनिया आज की :::नाशाद हो फिर शाद, ::::::नाचता उसके दृगों में था नए ::::::मानव-जगत का ख्‍़वाब, कर गया उसको कौन औ' :::किस वास्‍ते बर्बाद, ::::::बुझ गया वह दीप जिसकी थी नहीं :::::::जीवन-कहानी पूर्ण, ::::::वह अधूरी क्‍या रही, इंसानियत का :::::::रुक गया आख्‍यान। :::हो गया क्‍या देश के ::::::सबसे प्रगतिमय दीप का :::::::निर्वाण!  विष-घृणा से देश का वातावरण :::पहले हुआ सविकार, खू़न की नदियाँ बहीं, फिर बस्तियाँ :::जलकर गई हो क्षार, ::::::जो दिखता था अँधेरे में प्रलय के :::::::प्‍यार की ही राइ, बच न पाया, हाय, वह भी इस घृणा का :::क्रूर, निंद्य प्रहार, ::::::सौ समस्‍याएँ खड़ी हैं, एक का भी :::::::हल नहीं है पास, ::::::क्‍या गया है रूठ प्‍यारे देश भारत- :::::::वर्ष से भगवान!  हो जाएगा।गया क्‍या देश के :::सबसे जरूरी दीप का ::::::निर्वाण!
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