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प्यार कर पाऊँ मैं अब ऐसा नहीं हो पाउँगा / गौरव त्रिवेदी
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प्यार कर पाऊँ मैं अब ऐसा नहीं हो पाउँगा,
चाहता तो हूँ मगर तेरा नहीं हो पाउँगा
मुझसा दुनिया में तलाशे फिर रही हो तो सुनो,
अब मैं ख़ुद भी चाहूं तो वैसा नहीं हो पाउँगा
कूज़ागर मुझको बनाते वक्त इतना ध्यान रख,
मैं बिना मेहबूब के पूरा नहीं हो पाउँगा
बाद माँ के भी मैं प्यारा तो हूँ लाखों का मगर,
अब किसी की आँख का तारा नही हो पाउँगा
उसने जब छोड़ा था मेरी उम्र थी इक्किस बरस,
तबसे इक्किस का हूँ मैं बूढ़ा नही हो पाउँगा