भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फिर लौट आया प्यार का मौसम / किशोर कुमार खोरेन्द्र

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:48, 29 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किशोर कुमार खोरेन्द्र }} {{KKCatKavita}} <poem> अनुराग से भरी …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अनुराग से भरी होगी शिकायत
दूर क्यों मुझसे रहते हो
जब नजदीक हैं हम
फिर लौट आया प्यार का मौसम

रजनीगन्धा सी महकेगी रात
जब मुझे आयेगी उसकी याद
चाँदनी को बुलाकर वह पूछेगी
सचमुच करते हैं क्या वे मेरा इंतज़ार
जान कर सच
तब बढ़ जायेगी उसके ह्रदय की धड़कन
फिर लौट आया प्यार का मौसम

एक धुन गूँजती रहेगी
मन की अकुलाहट बाँसुरी सी बजती रहेगी
बार-बार दुहराएंगे .........
सात जन्मों तक न अब बिछड़ेंगे हम
फिर लौट आया प्यार का मौसम