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"(प्रथम कविता का अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

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मेरे धर्म , मुझे अब तुम उदार होने दो,  
 
मेरे धर्म , मुझे अब तुम उदार होने दो,  
निखिल विश्व मेंमिलकर अपनापन खेाने दो,
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निखिल विश्व में मिलकर अपनापन खोने दो,
खाने देा मुझे अछूत के साथ बैठकर,
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खोने दो मुझे अछूत के साथ बैठकर,
जाने दो मुझको मुसलिम के धर के भीतर,
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जाने दो मुझको मुसलिम के घर के भीतर,
पीने दो मुझे इसाई धर का पानी।
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पीने दो मुझे ईसाई घर का पानी ।
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(विराट ज्योति पृष्ठ 17)
 
(विराट ज्योति पृष्ठ 17)
 
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02:11, 28 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

मेरे धर्म (प्रथम पद)

मेरे धर्म , मुझे अब तुम उदार होने दो,
निखिल विश्व में मिलकर अपनापन खोने दो,
खोने दो मुझे अछूत के साथ बैठकर,
जाने दो मुझको मुसलिम के घर के भीतर,
पीने दो मुझे ईसाई घर का पानी ।

(विराट ज्योति पृष्ठ 17)