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"(हाइकु) / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=  सुधा गुप्ता 
 
|संग्रह=चुलबुली रात ने /  सुधा गुप्ता 
 
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<poem>
 
 
चाँदी की नाव
 
सोने के डाँड लगे
 
रेत में धँसी ।
 
2
 
नींद खुमारी
 
सिरहाना न मिला
 
पत्थर सही ।
 
3
 
हमसफ़र
 
मेरे गुन न गिने
 
खोट हि देखे ।
 
4
 
मैं दूर्वा भली
 
उजाड़ खण्डहर
 
कहीं भी पली ।
 
5
 
तुम दूध थे
 
मिली बनके पानी
 
सदा ही जली ।
 
6
 
बन्दिनी मैना
 
सोने की सलाखों में
 
रूठे हैं गीत ।
 
7
 
फेन , तिनके
 
माथे धरे सागर
 
रत्न डुबा दे ।
 
8
 
नाज़ुक फूल
 
सँकरे गुलदान
 
जान पे बनी ।
 
9
 
लिखते पेड़
 
हरियाले काग़ज़
 
प्रेम की पाती ।
 
10
 
कहीं न कहीं
 
हम सब बेचारे
 
दर्द के मारे ।
 
11
 
मैं तो खुशबू
 
हवाओं में समाऊँ
 
जग महके ।
 
12
 
छतों की शाम
 
वो दालान की धूप
 
सपना हुई ।
 
  
 
<poem>
 

17:41, 18 मई 2012 के समय का अवतरण