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"-चूमा था भाल / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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'''चूमा था भाल'''
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खिले नैनों के ताल
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चूमे नयन
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विलीन हुई पीर
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चूमे कपोल
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था बिखरा अबीर
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भीगे अधर
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पीकर मधुमास
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चूमे अधर
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खिला था रोम रोम
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खुशबू उड़ी
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भरा मन आकाश
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कसे तुमने
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थे जब बाहुपाश
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तन वीणा के
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बज उठे थे तार
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कण्ठ से गूँजा
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प्यार का सामगान
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कानों में घोला
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मादक मधुरस
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तुम जो मिले
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ताप भरे दिन में
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धरा से नभ
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खिले सौ-सौ वसन्त।
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कामना यही-
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हो पूर्ण ये मिलन
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पुलकें तन -मन।
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-0-
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00:46, 18 जून 2018 के समय का अवतरण