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"7 नवम्‍बर : जीतों के दिन की शान में गीत / पाब्लो नेरूदा" के अवतरणों में अंतर

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'''7 नवम्‍बर को दोहरी वर्षगाँठ  बतलाए जाने का कारण यह है कि सोवियत समाजवादी क्रान्ति दिवस होने के साथ साथ इसी दिन मैड्रिड के द्वार से तानाशाह फ्रांको की राष्‍ट्रवादी सेना को (अस्‍थाई तौर पर) पीछे लौटने को बाध्‍य कर दिया गया था। यह कविता नेरूदा ने 1941 में लिखी थी, जब अक्‍टूबर क्रान्ति की 24वीं वर्षगाँठ और स्‍पेनी गणराज्‍य की उपरोक्‍त विजय की पाँचवीं वर्षगाँठ थी।'''
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'''7 नवम्बर को दोहरी वर्षगाँठ  बतलाए जाने का कारण यह है कि सोवियत समाजवादी क्रान्ति दिवस होने के साथ-साथ इसी दिन मैड्रिड के द्वार से तानाशाह फ्राँको की राष्ट्रवादी सेना को (अस्थाई तौर पर) पीछे लौटने को बाध्य कर दिया गया था। यह कविता नेरूदा ने 1941 में लिखी थी, जब अक्तूबर क्रान्ति की 24वीं वर्षगाँठ और स्पेनी गणराज्य की उपरोक्त विजय की पाँचवीं वर्षगाँठ थी।'''
  
 
यह दोहरी वर्षगाँठ, यह दिन, यह रात,
 
यह दोहरी वर्षगाँठ, यह दिन, यह रात,
क्‍या वे पाएँगे एक ख़ाली-ख़ाली-सी दुनिया, क्‍या उन्‍हें मिलेगी
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क्या वे पाएँगे एक ख़ाली-ख़ाली-सी दुनिया, क्या उन्हें मिलेगी
उदास दिलों की एक बेढब-सी घाटी ?
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उदास दिलों की एक बेढब-सी घाटी?
नहीं, महज एक दिन नहीं घण्‍टों से बना हुआ,
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नहीं, महज एक दिन नहीं घण्टों से बना हुआ,
 
जुलूस है यह आईनों और तलवारों का,
 
जुलूस है यह आईनों और तलवारों का,
यह एक दोहरा फूल है आघात करता हुआ रात पर लगातार
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यह एक दोहरा फूल है आघात करता हुआ रात पर लगातार,
,जब तक कि फाड़कर निशा-मूलों  को पा न ले सूर्योदय !
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जब तक कि फाड़कर निशा-मूलों  को पा न ले सूर्योदय!
  
स्‍पेन का दिन आ रहा है
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स्पेन का दिन आ रहा है
 
दक्षिण से, एक पराक्रमी दिन
 
दक्षिण से, एक पराक्रमी दिन
 
लोहे के पंखों से ढका हुआ,
 
लोहे के पंखों से ढका हुआ,
 
तुम आ रहे हो उधर से, उस आख़िरी आदमी के पास से
 
तुम आ रहे हो उधर से, उस आख़िरी आदमी के पास से
जो गिरता है धरती पर अपने चकनाचूर मस्‍तक के साथ
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जो गिरता है धरती पर अपने चकनाचूर मस्तक के साथ
और फिर भी उसके मुँह में है तुम्‍हारा अग्निमय अंक !
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और फिर भी उसके मुँह में है तुम्हारा अग्निमय अंक!
  
 
और तुम वहाँ जाते हो हमारी
 
और तुम वहाँ जाते हो हमारी
अनडूबी स्‍मृतियों के साथ :
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अनडूबी स्मृतियों के साथ :
 
तुम थे वो दिन, तुम हो
 
तुम थे वो दिन, तुम हो
 
वह संघर्ष, तुम बल देते हो
 
वह संघर्ष, तुम बल देते हो
अदृश्‍य सैन्‍य-दस्‍ते को , उस पंख को
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अदृश्य सैन्य-दस्ते को , उस पंख को
जिससे उड़ान जन्‍म लेगी, तुम्‍हारे अंक के साथ !
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जिससे उड़ान जन्म लेगी, तुम्हारे अंक के साथ!
  
सात नवम्‍बर, कहाँ रहते हो तुम ?
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सात नवम्बर, कहाँ रहते हो तुम ?
कहाँ जलती हैं पंखुडि़याँ, कहाँ तुम्‍हारी फुसफुसाहट
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कहाँ जलती हैं पंखुडि़याँ, कहाँ तुम्हारी फुसफुसाहट
कहती है बिरादर से : आगे बढ़ो, ऊपर की ओर !
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कहती है बिरादर से : आगे बढ़ो, ऊपर की ओर!
और गिरे हुए से : उठो !
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और गिरे हुए से : उठो!
कहाँ रक्‍त से पैदा होता है तुम्‍हारा जयपत्र
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कहाँ रक्त से पैदा होता है तुम्हारा जयपत्र
 
और भेदता है इन्सान की कमज़ोर देह को और ऊपर उठता है
 
और भेदता है इन्सान की कमज़ोर देह को और ऊपर उठता है
गढ़ने के लिए एक नायक ?
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गढ़ने के लिए एक नायक?
  
तुम्‍हारे भीतर, एक बार फिर, ओ सोवियत संघ,
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तुम्हारे भीतर, एक बार फिर, ओ सोवियत संघ,
तुम्‍हारे भीतर, एक बार फिर, विश्‍व की जनता की बहन,
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तुम्हारे भीतर, एक बार फिर, विश्व की जनता की बहन,
निर्दोष और सोवियत पितृभूमि । लौटता है तुम्‍हारे तक तुम्‍हारा बीज
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निर्दोष और सोवियत पितृभूमि । लौटता है तुम्हारे तक तुम्हारा बीज
पत्‍तों की  एक बाढ़ की शक्‍ल में, बिखरा हुआ समूची धरती पर !
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पत्तों की  एक बाढ़ की शक़्ल में, बिखरा हुआ समूची धरती पर !
  
तुम्‍हारे लिए नहीं हैं आँसू, लोगो, तुम्‍हारी लड़ाई में !
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तुम्हारे लिए नहीं हैं आँसू, लोगो, तुम्हारी लड़ाई में !
सभी को होना है लोहे का, सभी को आगे बढ़ना है और जख्‍़मी
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सभी को होना है लोहे का, सभी को आगे बढ़ना है और ज़ख़्मी
 
होना है,
 
होना है,
सभी को, छुई न जा सकने वाली चुप्‍पी को भी, संदेह को भी,
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सभी को, छुई न जा सकने वाली चुप्पी को भी, सन्देह को भी,
यहाँ तक कि उस संदेह को भी जो अपने सर्द हाथों से
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यहाँ तक कि उस सन्देह को भी जो अपने सर्द हाथों से
जकड़कर जमा देता है हमारे हृदय और डुबो देता है उन्‍हें,
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जकड़कर जमा देता है हमारे हृदय और डुबो देता है उन्हें,
 
सभी को, ख़ुशी को भी, होना है लोहे का
 
सभी को, ख़ुशी को भी, होना है लोहे का
तुम्‍हारी मदद करने के लिए, विजय में, ओ माँ, ओ बहन !
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तुम्हारी मदद करने के लिए, विजय में, ओ माँ, ओ बहन !
  
 
थूका जाए आज के गद्दार के मुँह पर !
 
थूका जाए आज के गद्दार के मुँह पर !
नीच को दण्‍ड मिले आज, इस विशेष
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नीच को दण्ड मिले आज, इस विशेष
घण्‍टे के दौरान, उसके सम्‍पूर्ण कुल को,
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घण्टे के दौरान, उसके सम्पूर्ण कुल को,
 
कायर वापस लौट जाएँ
 
कायर वापस लौट जाएँ
 
अँधेरे में, जयपत्र जाएँ पराक्रमी के पास,
 
अँधेरे में, जयपत्र जाएँ पराक्रमी के पास,
एक पराक्रमी प्रशस्‍त पथ, बर्फ़ और रक्‍त के
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एक पराक्रमी प्रशस्त पथ, बर्फ़ और रक्त के
 
एक पराक्रमी जहाज़ के पास, जो हिफ़ाजत करता है दुनिया की
 
एक पराक्रमी जहाज़ के पास, जो हिफ़ाजत करता है दुनिया की
  
आज के दिन तुम्‍हें शुभकामनाएँ देता हूँ सोवियत संघ,
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आज के दिन तुम्हें शुभकामनाएँ देता हूँ सोवियत संघ,
 
विनम्रता के साथ: मैं एक लेखक हूँ और एक कवि ।
 
विनम्रता के साथ: मैं एक लेखक हूँ और एक कवि ।
 
मेरे पिता रेल मज़दूर थे : हम हमेशा ग़रीब रहे ।
 
मेरे पिता रेल मज़दूर थे : हम हमेशा ग़रीब रहे ।
कल मैं तुम्‍हारे साथ था, बहुत दूर, भारी बारिशों वाले
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कल मैं तुम्हारे साथ था, बहुत दूर, भारी बारिशों वाले
अपने छोटे से देश में । वहाँ तुम्‍हारा नाम
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अपने छोटे से देश में । वहाँ तुम्हारा नाम
 
तपकर लाल हो गया, लोगों के दिलों में जलते-जलते
 
तपकर लाल हो गया, लोगों के दिलों में जलते-जलते
 
जब तक कि वह मेरे देश के ऊँचे आकाश को छूने नहीं लगा ।
 
जब तक कि वह मेरे देश के ऊँचे आकाश को छूने नहीं लगा ।
  
आज मैं उन्‍हें याद करता हूँ, वे सब तुम्‍हारे साथ हैं !
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आज मैं उन्हें याद करता हूँ, वे सब तुम्हारे साथ हैं !
 
फ़ैक्‍ट्री-दर-फ़ैक्‍ट्री घर-दर-घर
 
फ़ैक्‍ट्री-दर-फ़ैक्‍ट्री घर-दर-घर
तुम्‍हारा नाम उड़ता है लाल चिड़िया की तरह ।
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तुम्हारा नाम उड़ता है लाल चिड़िया की तरह ।
तुम्‍हारे वीर यशस्‍वी हों और हरेक बूँद
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तुम्हारे वीर यशस्वी हों और हरेक बूँद
तुम्‍हारे ख़ून की। यशस्‍वी हों हृदयों की बह-बह निकलती बाढ़
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तुम्हारे ख़ून की। यशस्वी हों हृदयों की बह-बह निकलती बाढ़
जो तुम्‍हारे पवित्र और गौरवपूर्ण आवास की रक्षा करते हैं !
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जो तुम्हारे पवित्र और गौरवपूर्ण आवास की रक्षा करते हैं !
  
यशस्‍वी हो वह बहादुरी भरी और कड़ी
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यशस्वी हो वह बहादुरी भरी और कड़ी
रोटी जो तुम्‍हारा पोषण करती है, जब समय के द्वार खुलते हैं
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रोटी जो तुम्हारा पोषण करती है, जब समय के द्वार खुलते हैं
ताकि जनता और लोहे की तुम्‍हारी फौज मार्च कर सके, गाते हुए
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ताकि जनता और लोहे की तुम्हारी फौज मार्च कर सके, गाते हुए
राख और उजाड़ मैदानों के बीच से, हत्‍यारों के ख़िलाफ़,
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राख और उजाड़ मैदानों के बीच से, हत्यारों के ख़िलाफ़,
 
ताकि रोप सके एक ग़ुलाब चाँद जितना विशाल
 
ताकि रोप सके एक ग़ुलाब चाँद जितना विशाल
 
जीत की सुन्दर और पवित्र धरती पर !
 
जीत की सुन्दर और पवित्र धरती पर !
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'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शशिप्रकाश'''
 
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21:08, 10 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

7 नवम्बर को दोहरी वर्षगाँठ बतलाए जाने का कारण यह है कि सोवियत समाजवादी क्रान्ति दिवस होने के साथ-साथ इसी दिन मैड्रिड के द्वार से तानाशाह फ्राँको की राष्ट्रवादी सेना को (अस्थाई तौर पर) पीछे लौटने को बाध्य कर दिया गया था। यह कविता नेरूदा ने 1941 में लिखी थी, जब अक्तूबर क्रान्ति की 24वीं वर्षगाँठ और स्पेनी गणराज्य की उपरोक्त विजय की पाँचवीं वर्षगाँठ थी।

यह दोहरी वर्षगाँठ, यह दिन, यह रात,
क्या वे पाएँगे एक ख़ाली-ख़ाली-सी दुनिया, क्या उन्हें मिलेगी
उदास दिलों की एक बेढब-सी घाटी?
नहीं, महज एक दिन नहीं घण्टों से बना हुआ,
जुलूस है यह आईनों और तलवारों का,
यह एक दोहरा फूल है आघात करता हुआ रात पर लगातार,
जब तक कि फाड़कर निशा-मूलों को पा न ले सूर्योदय!

स्पेन का दिन आ रहा है
दक्षिण से, एक पराक्रमी दिन
लोहे के पंखों से ढका हुआ,
तुम आ रहे हो उधर से, उस आख़िरी आदमी के पास से
जो गिरता है धरती पर अपने चकनाचूर मस्तक के साथ
और फिर भी उसके मुँह में है तुम्हारा अग्निमय अंक!

और तुम वहाँ जाते हो हमारी
अनडूबी स्मृतियों के साथ :
तुम थे वो दिन, तुम हो
वह संघर्ष, तुम बल देते हो
अदृश्य सैन्य-दस्ते को , उस पंख को
जिससे उड़ान जन्म लेगी, तुम्हारे अंक के साथ!

सात नवम्बर, कहाँ रहते हो तुम ?
कहाँ जलती हैं पंखुडि़याँ, कहाँ तुम्हारी फुसफुसाहट
कहती है बिरादर से : आगे बढ़ो, ऊपर की ओर!
और गिरे हुए से : उठो!
कहाँ रक्त से पैदा होता है तुम्हारा जयपत्र
और भेदता है इन्सान की कमज़ोर देह को और ऊपर उठता है
गढ़ने के लिए एक नायक?

तुम्हारे भीतर, एक बार फिर, ओ सोवियत संघ,
तुम्हारे भीतर, एक बार फिर, विश्व की जनता की बहन,
निर्दोष और सोवियत पितृभूमि । लौटता है तुम्हारे तक तुम्हारा बीज
पत्तों की एक बाढ़ की शक़्ल में, बिखरा हुआ समूची धरती पर !

तुम्हारे लिए नहीं हैं आँसू, लोगो, तुम्हारी लड़ाई में !
सभी को होना है लोहे का, सभी को आगे बढ़ना है और ज़ख़्मी
होना है,
सभी को, छुई न जा सकने वाली चुप्पी को भी, सन्देह को भी,
यहाँ तक कि उस सन्देह को भी जो अपने सर्द हाथों से
जकड़कर जमा देता है हमारे हृदय और डुबो देता है उन्हें,
सभी को, ख़ुशी को भी, होना है लोहे का
तुम्हारी मदद करने के लिए, विजय में, ओ माँ, ओ बहन !

थूका जाए आज के गद्दार के मुँह पर !
नीच को दण्ड मिले आज, इस विशेष
घण्टे के दौरान, उसके सम्पूर्ण कुल को,
कायर वापस लौट जाएँ
अँधेरे में, जयपत्र जाएँ पराक्रमी के पास,
एक पराक्रमी प्रशस्त पथ, बर्फ़ और रक्त के
एक पराक्रमी जहाज़ के पास, जो हिफ़ाजत करता है दुनिया की

आज के दिन तुम्हें शुभकामनाएँ देता हूँ सोवियत संघ,
विनम्रता के साथ: मैं एक लेखक हूँ और एक कवि ।
मेरे पिता रेल मज़दूर थे : हम हमेशा ग़रीब रहे ।
कल मैं तुम्हारे साथ था, बहुत दूर, भारी बारिशों वाले
अपने छोटे से देश में । वहाँ तुम्हारा नाम
तपकर लाल हो गया, लोगों के दिलों में जलते-जलते
जब तक कि वह मेरे देश के ऊँचे आकाश को छूने नहीं लगा ।

आज मैं उन्हें याद करता हूँ, वे सब तुम्हारे साथ हैं !
फ़ैक्‍ट्री-दर-फ़ैक्‍ट्री घर-दर-घर
तुम्हारा नाम उड़ता है लाल चिड़िया की तरह ।
तुम्हारे वीर यशस्वी हों और हरेक बूँद
तुम्हारे ख़ून की। यशस्वी हों हृदयों की बह-बह निकलती बाढ़
जो तुम्हारे पवित्र और गौरवपूर्ण आवास की रक्षा करते हैं !

यशस्वी हो वह बहादुरी भरी और कड़ी
रोटी जो तुम्हारा पोषण करती है, जब समय के द्वार खुलते हैं
ताकि जनता और लोहे की तुम्हारी फौज मार्च कर सके, गाते हुए
राख और उजाड़ मैदानों के बीच से, हत्यारों के ख़िलाफ़,
ताकि रोप सके एक ग़ुलाब चाँद जितना विशाल
जीत की सुन्दर और पवित्र धरती पर !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : शशिप्रकाश