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अंग-वंदना / विकास सिंह 'गुलटी'

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जेकरोॅ सुन्दर परिवेश, जहाँ सब्भे कुछ विशेष
हौ हमरोॅ अंग देश, हौ हमरोॅ अंग देश ।
दुनियाँ में शिक्षा के दीया जरैलकै विक्रमशिला
बेपारौ के केन्द्र पुरानोॅ चम्पानगरी टीला
जानै जहान महादानी, प्रतापी कर्ण नरेश ।

मथी समुंदर रतन निकालै वाला यहाँ मंदार
ऋिषि-मुनि के जोग-जाप सें भरलोॅ छै भंडार
इतिहास अमर करै वाला यहाँ ढेरी छै अवशेष ।

चानन, चीर, बढुआ, क्यूल, गंडक, गंगा, कोशी
सीताकुण्ड-पापहरणी, झरना ढोल पहाड़ी, मरोसी
कर्मा-धर्मा, नेमान, चोरचण्डा, छठ, विषहरी विशेष ।

वैद्यनाथ, बाबा बासुकी, अजगैवी धाम, सिंहेसर
माय चण्डी, कत्यानी, जेठौर, बूढ़ानाथ, बटेसर
जख योगिनी, अंगधात्राी, हरै सबके कलेश ।

गाथा बिहुला, नटुआ, विसुराउत, हिरनी-बिरनी
बिरजाभान, जालिम सिंह, कौआहकनी, धनु, परभरनी
चैती, झूमर, कजरी, सोहर, गावै मनौन, सैलेश ।

गोप महेन्दर परशुराम सिंह लड़लै वीर सतीश
राम-लक्ष्मण सियाराम भुवनेश्वर जगदीश
सर्वेश्वरी, तिलका चुनचुन लड़ी छोड़ैलकै देश ।