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अच्छे दिन / कृष्ण कल्पित

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अच्छे दिन जब आएँगे
गाजे-बाजे के साथ आएँगे

वे आएँगे हाथी पर सवार होकर

बजती रहेगी दुन्दुभि

उड़ती रहेगी धूल

एक कुचलते हुए कारवाँ की तरह आएँगे अच्छे दिन
लहू से लथ-पथ

ग़रीबों को कुचलता हुआ
सूखे हुए खेतों से गुज़रता हुआ
एक विक्रान्त-विजय-रथ

तमाशा ज़ोर होगा
कुछ ही दिनों में गुज़रेगा राजपथ से
अच्छे दिनों का जुलूस

देर तक उड़ती रहेगी जिसकी ख़ाक !