भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनबोला / पीयूष दईया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:52, 13 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पीयूष दईया |संग्रह= }} <Poem> क्या यह स्वयं पेड़ है जो...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या यह स्वयं पेड़ है जो बुलाता है
चिडिया को

या वह आ जाती है अपने से
उसके क़ैदी होने का फ़ायदा उठाती
घोंसले बनाती चली जाती है
वह भी तिनकों से/के!

अनबोला पेड़ कभी प्रतिरोध नहीं करता