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आणि दे वीं ईं दुनिया मा / अनूप सिंह रावत

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आणि दे वीं ईं दुनिया मा,
जीणी दे वीं ईं दुनिया मा।।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

घर की लक्ष्मी च नौनी, वीं आणी दे।
देख हे, सूण हे, वींथे भी फर्ज निभाणी दे।
सबसे अगिन्या रैली सब थै देली मात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

एक ही जन्म मा वींका छन रूप अनेक।
सदानी बिटि करदी आणि व कर्म हे नेक।
दुनिया का उद्धार खातिर कारली एक दिन रात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

तीलू, रामी, गौरा ह्वेनी बड़ी-२ नारी।
जौन करी काम यनु दुनिया दे तारी।
छाया सभ्या यु भी रे मनखी नारी जात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

आज की दुनिया मा बेटी बेटा बराबर चा।
ध्यान से देख फर्क नीचा कुछ भी द्वियु मा।
टक्क लगे सुणी ले अनूप रावत कि या बात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।