भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपसे पूछते हैं हम / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:30, 25 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |संग्रह=संसार बदल जाएगा / विष्णु नाग...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आप हमारे घर आए हैं
आप हमारे क्या हैं?

आप हमारी आँखें हैं
कान हैं
जीभ हैं
स्वाद हैं
या सगे हैं कोई?

आप हमारे घर में बैठे आराम से
क्या आप हमारी चिन्ता हैं?
आपसे पूछते हैं हम
आप हमसे कुछ पूछते ही कहाँ हैं?