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आयग्यो / मधु आचार्य 'आशावादी'

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गांव रै हर खेत मांय
सरणाटो
नीं कोई मिनख
नीं कोई जिनावर
इयां लखावतो
खुसी देवणियो खेत
हुयग्यो रेत
उकळती रेत
आग उगळती रेत
जीवण रो अरथ बदळग्यो
देखतां ई ठाह पड़ी
 अेक बार फेरूं
अकाळ आयग्यो।