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इतिहास / हरे राम सिंह

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प्रिये!
चाहता हूँ तुझे एक ख़त लिखना
पिछली दो सहस्त्राब्दी जितना लम्बा
पर आशंका है -
हर बिन्दु लाल हो जाएगा
और
तुम्हें ख़ून से डर लगता है