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एक चश्मदीद का बयान… / शिरीष कुमार मौर्य

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(रघुवीर सहाय की स्मृति और चाचा राजेन्दप्रताप्र मौर्य के एक अघोषित गैंगवार से भरे वर्तमान को समर्पित)


मैं किसी हत्या के बारे में कुछ नहीं जानता
सरकार !

मैं उस जगह के बारे में थोड़ा-बहुत ज़रूर जानता हूँ
सूत्रों के मुताबिक
जहाँ हत्या हुई
मैं जानता हूँ
उस रास्ते और उससे जुड़ी एक बंद गली के बारे में
और उन आवारा कुत्तों के बारे में भी
जो भूँकते हैं
वहाँ से गुज़रते ही

लेकिन मैं हत्या के बारे में कुछ नहीं जानता

अलबत्ता मृतक को मैं जानता हूँ

आत्महंता जोश से भरी उस अड़तीस की उम्र को
पत्नी की जवान मजबूरियों
और पीछे छूट गए
दो छोटे बच्चों की बड़ी-बड़ी अनभिज्ञताओं को भी
मैं जानता हूँ

हुज़ूर इस दुनिया में
मैं सिर्फ़ उतना जानता और नहीं जानता हूँ
जितना जानने और नहीं जानने से मैं
बच सकता हूँ
आपकी इस महान न्यायप्रिय अदालत में
अगली किसी
ऐसी ही चश्मदीद गवाही के लिए !