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एक दिन रहलें राम जी हमनीं के खेलनवा अब होइहें डूमरी के फूल नू रे राजावा / महेन्द्र मिश्र

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एक दिन रहलें राम जी हमनीं के खेलनवा अब होइहें डूमरी के फूल नू रे राजावा।
दूलहा सोहावन लागे हुलसेला छतिया बटिया जोहत छतिया फाटेला नू रे राजावा।
तोहरो करन हम माई-बाप तेजलीं तोरा के तेजत छतिया फाटेला नू रे राजावा।
जब सुधी आवे राम साँवली रे सुरतिया जिया बीचे मारेला कटरिया नू रे राजावा।
जो हम जनतीं राम होइहें निरमोहिया खिंची बान्ह बन्हतीं प्रेम का डोरिया नू रे राजावा।
कहत महेन्दर मोरा तरसेला नजरिया से एकटक लागेला नयनवाँ नू रे राजावा।