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एकस्थ से हट कर / महेन्द्र भटनागर
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स्थितियाँ
जब बदलती नहीं --
गतिशीलता
अवरुद्ध होती है,
कहीं एकस्थ हो
आवेश का विस्तार खोती है।
स्थितियों का
बदलना / टूटना
बेहद ज़रूरी है,
भले ही --
नयी स्थितियाँ
नितान्त विरुद्ध हों
संदिग्ध हों।