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औरत / पद्मजा शर्मा

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मैं
सीधी चली
बोले बनती है

टेढ़ी चली
बोले प्यादल है

रूकी
बोले हार गयी

झुकी
बोले रीढ़ नहीं है

उठी
बोले घमण्डी है

चुप हुई
बोले घुन्नी है

बोली
बोले जुबान कतरनी है

मैं मरी
वे तब चुप हुए।