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कबीर बाबा / संतोष कुमार

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साँस के सितार पर
आंखि के दुआर पर
मनई के विचार पर
उपजेला जवन गुन
उहे नू ह निरगुन
भोजपुरी के परान
कवियन में महान
मन के रंगावे में रहल
जेकर विस्वास
आत्मा आ परमात्मा के मिलन पर
जेकरा जागे हुलास
उहे रहेलें धीर
गम्हीर

जेकर नाम रहे कबीर
भोजपुरी के आदि कवि
साखी, सबद, रमैनी के रचवइया

निरगुनिया बानी के गवइया
भोजपुरी माई के हीर
उहे नू रहले
बाबा कबीर
चनन आ टीका के
महजिद आ मंदिर के
पंडित आ मुल्ला के
अंगूठा देखवलन
चोला ना रंगा के
मन के रंगवलन
काशी में जनमले
आ मगहर में तजले सरीर
उहे नू रहलें बाबा कबीर
केहू कहल भाषा के डिक्टेटर
कहे कहल सधुक्कड़
केहू कहल अक्खड़
केहू कहल फक्कड़
सांच त इ बा कि
उनकर ना रहे कवनो टक्कर
तीनू काल के देखवइया
संत, साधू, फ़क़ीर।