भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कह दो धन से बल से शोहरत हासिल करने वालों से / विनोद तिवारी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:39, 6 जनवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


कह दो धन से बल से शोहरत हासिल करने वालों से
नवयुग का इतिहास लिखेंगे बाकी लोग कुदालों से

बड़ी-बड़ी चीज़ों के दावेदार बन गए बड़े-बड़े
जूझ रहा है आम आदमी अब तक आम सवालों से

आँख बदल कर पलट पड़े तो एक क़हर बरपा होगा
मजबूरी में जो करवा लो भूखे नर कंकालों से

छोटे-से दीपक के मन में यह विश्वास सबलतम है
अँधियारा क्या जीत सकेगा अंतिम युद्ध उजालों से