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चाँद को बड़का कटोरा में यहाँ हम लायेंगे / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
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चाँद को बड़का कटोरा में यहाँ हम लायेंगे।
चाँदनी संग बैठकर छोला भटोरा खायंेगे।।
चाँदनी की रोशनी में देश को नहलाएँगे।
देख कर दुश्मन जलेगे विश्व को ललचाएँगे।।
बालपन में दूर रहकर ये हमें रुलवाया था।
घर बुलाकर हम इसे मम्मी से अब मिलवाएँगे।।
आसमां से चाँदनी जब से उतरकर आई है।
ये सितारे खुद ब खुद भू पर उतर कर आयेंगे।।
इक कदम हम दूर हैं उसके घर दहलीज से।
हार को फिर जीतकर दुनिया को अब दिखलाएँगे।।