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जनतंत्र का शोकगीत / शहंशाह आलम
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ये बड़ा भारी आयोजन था
उनके द्वारा
भव्य और अंतर्राष्ट्रीय भी
इसलिए कि इस महाआयोजन में
जनतंत्र को हराया जाना था
भारी बहुमत से
मित्रो, निकलो अब इस घर से
अब यहाँ न 'जन' है, न 'जनतंत्र'