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ज़िंदगी जीने का कोई तो बहाना चाहिए / विनोद तिवारी

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ज़िन्दगी जीने का कोई तो बहाना चाहिए
बेसरो-सामान लोगों को ठिकाना चाहिए

आप देते जा रहे हैं देश भक्ति का हिसाब
भीड़ को फ़िलहाल तो दो जून खाना चाहिए

इस क़दर उलझन भरे माहौल में जीते हैं हम
भूलते जाते हैं कैसे मुस्कुराना चाहिए

सर्द ख़ामोशी से अब तो ऊबता जाता है दिल
झूमता झकझोरता तूफ़ान आना चाहिए