जिस ज़मीं से तू जुड़ा है बस उसी की बात कर / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
जिस ज़मीं से तू जुड़ा है बस उसी की बात कर
अपना घर तू देख पहले फिर किसी की बात कर
लो बता देता हूं मैं क्या चीज़ है ज़िन्दादिली
मौत के साए तले तू ज़िन्दगी की बात कर
तू ख़ुदा को पा चुका है मान लेता हूं चलो
मैं तो ठहरा आदमी तू आदमी की बात कर
गुम न कर इन मन्दिरों और मस्जिदों में तू वुजूद
इन अँधेरों से निकल कर रौशनी की बात कर
ख़ुद-ब-ख़ुद लगने लगेगा ख़ुशनुमां-सा ये जहां
हो पराई या कि अपनी बस ख़ुशी की बात कर
ताज का पत्थर नहीं तू रंग फ़ीका क्यूं पड़े
बेहिचक महबूब से तू मुफ़लिसी की बात कर
जब कभी भी बात अपनी हो तुझे करनी ‘ मधुर ’
दश्त में चलते हुए इक अजनबी की बात कर