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जिसके चरणों में नत होते भारत के वीरों का भाल / रंजना वर्मा
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जिसके चरणों की नत होते नित भारत वीरों के भाल।
वसुंधरा के उस कण-कण को छूकर होता देश निहाल॥
रही मित्रता सबसे अपनी सीखा कभी न करना घात
भोंक रहे पीछे से खंजर पूछें किस से उन का हाल॥
दिशा दिशा से उठती चीखें करते जो आतंकी काम
उस पर भी जब शस्त्र उठाया नेता करने लगे सवाल॥
करें बड़ाई दुष्कर्मी की करते कब शहीद की बात
हैं सपूत कैसे जो हरदम देशभक्ति पर करें सवाल॥
दूर देश में रहने वाले बस जाते आ कर इस देश
उनको भी है अपना लेता अद्भुत भारत देश कमाल॥
सीमा की रक्षा में अपने प्राण गंवा होते बलिदान
मातृभूमि पर मरने वाले के कुटुंब की करें सँभाल॥
रग-रग में बह रहा रक्त जो बूंद-बूंद उसकी अंगार
पाकर ऐसे अमर सपूतों को धरती हो गई निहाल॥