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जीवन बदलेगा अवश्य / रजनी तिलक

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दूसरे की रात
अपने जीवन का
सपना न बनाओ,
उन्हें न सजाओ
अपनी आँखों में।

वीरानी रात,
कभी सुख न देगी
अपना जीवन अपना
गाओ, नाचो, ख़ुशी मनाओ
जीवन को आज़ाद होने दो
सूरज निकलेगा अवश्य
जीवन बदलेगा अवश्य।