भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तू इतने प्यार से क्यों बोलता है / अलका मिश्रा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:48, 25 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अलका मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तू इतने प्यार से क्यों बोलता है
तेरी आवाज़ से दिल डोलता है

क़यामत सी गुज़र जाती है उस पल
तू जब भी दिल की परतें खोलता है

नज़र भर देख लेता है तू जब भी
शरारे से रग़ों में घोलता है

मोहब्बत की रुतों में, ख़्वाहिशों का
परिंदा पंख अपने खोलता है

इशारों में कभी सब कुछ कहे वो
कभी बातों में मुझको तोलता है