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तू इतने प्यार से क्यों बोलता है / अलका मिश्रा
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तू इतने प्यार से क्यों बोलता है
तेरी आवाज़ से दिल डोलता है
क़यामत सी गुज़र जाती है उस पल
तू जब भी दिल की परतें खोलता है
नज़र भर देख लेता है तू जब भी
शरारे से रग़ों में घोलता है
मोहब्बत की रुतों में, ख़्वाहिशों का
परिंदा पंख अपने खोलता है
इशारों में कभी सब कुछ कहे वो
कभी बातों में मुझको तोलता है