भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तू है या तेरा साया है / नासिर काज़मी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:06, 28 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तू है या तेरा साया है
भेस जुदाई ने बदला है

दिल की हवेली पर मुद्दत से
ख़ामोशी का क़ुफ़्ल पड़ा है

चीख़ रहे हैं ख़ाली कमरे
शाम से कितनी तेज़ हवा है

दरवाज़े सर फोड़ रहे हैं
कौन इस घर को छोड़ गया है

हिचकी थमती ही नहीं 'नासिर'
आज किसी ने याद किया है