भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दरिया उथले पानी में क्या करते हैं / मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:48, 25 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुज़फ़्फ़र हनफ़ी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


दरिया उथले पानी में क्या करते हैं
तिनके इस तुग़ियानी<ref> जलप्लावन , बाढ़, सैलाब</ref> में क्या करते हैं

पत्थर हैं तो शीश महल पर जायें ना
घाव मिरी पेशानी पर क्या करते हैं

तंगी में वो सजदे करते रहते थे
देखें तनआसानी<ref>निकम्मापन, आलस, आरामतलबी</ref> में क्या करते हैं

रहने दें वीराने को वीराना ही
दीवाने नादानी में क्या करते है

सब से अच्छे लगते हैं अपनी कुर्सी पर
चांद सितारे पानी में क्या करते हैं

खिलते हैं वो हैरानी में दुनिया है
फूल यहाँ वीरानी में क्या करते हैं

शब्दार्थ
<references/>