भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दीपावली / अमित
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:33, 18 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= अमिताभ त्रिपाठी ’अमित’ }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जागी श्याम-विभावरी शुभकरी, दीपांकिता वस्त्रिता
कल्माशांतक ज्योति शुभ्र बिखरी, आलोकिता है निशा
ज्योतिष्मान स्वयं प्रतीचिपट से, सन्देश देता गया
दीपों की अवली प्रदीप्त कर दे, संपूर्ण पुण्या धरा
राकानाथ निमग्न हैं शयन में, तारावली दीपिता
तारों का प्रतिबिम्ब ही अवनि में, दीपावली सा बना
लक्ष्मी भी तज क्षीर-धाम उतरीं, देखी जु शोभा घनी
देतीं सी सबको प्रबोध मन में, जैसे सुसंजीवनी