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न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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न आज लुत्फ़<ref>आनंद</ref> कर इतना कि कल गुज़र न सके
वह रात जो कि तेरे गेसुओं<ref>केश, लट</ref> की रात नहीं
यह आरजू<ref>इच्छा, कामना</ref> भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम<ref>मित्र</ref>
विसाले यार<ref>प्रेमिका से मिलन</ref> फकत<ref>केवल</ref> आरजू की बात नहीं

शब्दार्थ
<references/>