भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नब्ज़ धीमी साँस भारी सुस्तियाँ / प्रेम भारद्वाज

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:24, 5 अगस्त 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नब्ज़ धीमी सांस भारी सुस्तियाँ
प्रेम रोगी में कहाँ वो फुर्तियाँ

नाख़ुदा अन्जान साथी हैं डरे
महज़ लहरों के सहारे किश्तियाँ

बिजलियाँ लेतीं यहाँ बलियां कई
डैम बनती जब उजड़ कर बस्तियाँ

कुछ चढ़ावा या इशरा जब हुआ
तब हिलीं थीं दफतरों में नस्तियाँ

पालना परिवार तो बंधन बड़े
बेलगामी की बचें कया गृहस्थियाँ

पंडितों ने तब धरा यजमान को
शोक था घर में पड़ीं थे अस्थियाँ

खटखटाए द्वार ग़म अक्सर तेरा
प्रेम करके क्या रहेंगी मस्तियाँ