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प्रभात / तुलसीबहादुर छेत्री

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पारी प्रभात पहिलो पलमा पल्हायो
पौधा प्रवीण परिमार्जित पुष्प पायो
पर्दा प्रभा परम पर्वतमा पहेँला
पग्ल्यो परिष्कृत पयोद पचास पाला ।

पाषाण-पद्धति पर्‍यो पथमा पसारो
पन्छी- परिश्रम पुग्यो पुरमा पत्यारो
'पूजा' प्रचार-पणमा पहिलो प्रभात
पैल्हाउ पुष्ट पृथिवी-पसिना-प्रसाद ।

परिमल परिभाषा पुष्पको पीर पारी
पुलकित पुतलीका पंख पैंच्यो पसारी
परहित पसिनाका पुण्य पानी पियाऊ
परम-पद-पताका-प्रेरणा-प्रेम पाऊ ।

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प्रभात, १।१०, जून १९५१, २००८