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फिर मेरे आँगन में चांदनी नही आई / त्रिपुरारि कुमार शर्मा

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फिर मेरे आँगन में चांदनी नही आई
अंधेरों से जा मिला मेरी उम्र का धागा

तमाचा मारा था बचपन में चाँद को