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फिर सुना चौपाल में झगड़ा हुआ है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

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फिर सुना चौपाल में झगड़ा हुआ है
उफ़ ये बस्ती को हमारी जय हुआ है।

आग जंगल की तो बारिश ने बुझा दी
किन्तु बस्ती में धुआं फैला हुआ है।

उनसे कह दो पास आकर क्या करेंगे।
जिस्म ने चोला नया पहना हुआ है।

उसने जब पहचानने में भूल कर दी
हमने भी माना हमें धोखा हुआ है।

अब वहां हलचल मचाना है ज़रूरी
ताल का पानी जहां ठहरा हुआ है।

चीख कोई अब न दे उसको सुनाई
जब से पहना ताज है, बहरा हुआ है।

उतने टुकड़े शर्तिया ये जिस्म होगा
आइना जितनी जगह दरका हुआ है।

हो सके तो पालिये , दिल में महब्बत
जंग में 'विश्वास' क्या रक्खा हुआ है।