भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बन्ना इतने दिन क्वारे क्यों रहे / हिन्दी लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:03, 25 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=हिन्दी }} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बन्ना इतने दिन क्वारे क्यों रहे-2
मलिया के गए मलिया न मिला
सेहरा बिन क्वारे हम रहें

बन्ना इतने दिन क्वारे क्यों रहे-२
बजजा के गए बजजा न मिला
जामा बिन क्वारे हम रहें

बन्ना इतने दिन क्वारे क्यों रहे-२
मोची के गए मोची न मिला
जूता बिन क्वारे हम रहें

बन्ना इतने दिन क्वारे क्यों रहे-२
समधी के गए समधी न मिला
बन्नी बिन क्वारे हम रहें