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बहुत दिन गुजर गये / राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

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देखे हुये किसी को बहुत दिन गुजर गये।
अरमान थे जो दिल के सारे बिखर गये॥

हर इक तरफ़ तो देखो दरिन्दों की भीड़ है।
इंसान नेकदिल थे जो जाने किधर गये॥

अब तुमसे दूर रहके हम बेहद उदास हैं।
आँखों में सजे सपने थे वह भी बिखर गये॥

ऐसी भी क्या थी बेरूखी हमको बताइये।
न देखा मुड़के तुमने दुबारा किधर गये॥

"राना" भी अपने प्यार की गहराई नापने।
उन झील-सी आँखों में कैसे उतर गये॥