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बारिश-2 / मेटिन जेन्गिज़ / मणि मोहन

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आत्मा पर गिरती हैं बारिश की बौछारें, और उसकी ताक़तवर बून्दें
सीटी बजाते हुए बहाए लिए जाती है कविताएँ ज़ेहन में
जीवन बाहर बह जाता है और तुम्हारी प्यारी आँखें भी
तुम्हारा चेहरा भी बाहर बह जाता है
किसी पुल पर मैं याद करता हूँ अतीत
मुट्ठियाँ तनी हुई हैं हवा में और प्रदर्शन
और फिर पुलिस के डण्डे, अर्धसैनिक बल, बन्दूकें
जीवन के जज़री सच छोड़ दिए गए हैं
किसी स्वप्न की तरह सीलबन्द धुन्धली दूरी पर

मैं सड़कों पर बारिश की लगाई आग को देखता हूँ
आनन्द के साथ
बारिश की आग जो बची रह गई लोगों के दिलों में
प्रेम की तरह, उम्मीद की तरह

हम अँगीठी के पास बैठे हैं, और हर तरफ आग लगी हुई है
मेरे ख़याल से जीवन यही है
यह दबोच रहा है मेरा गला स्टील की तरह
मैं अपने हाथ अतीत की तरफ फैलाता हूँ
बारिश थाम लेती है मेरे हाथ बर्बाद हुए मेरे बरसों के पक्ष में
यह पानी में बदल जाती है और बहने लगती है
मेरा चौवनवा साल खो जाता है एक दावे के लिए ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन

लीजिए, अब यही कविता मूल तुर्की भाषा में पढ़िए
            Metin Cengiz
             YAĞMUR-2

İnsanın ruhuna çarpıyor yağmur ve yağmurun o güçlü damlaları
Aklındaki dizeleri su gibi silip götürüyor ıslık çalarak
Hayat sulara kapılıp gidiyor
Sevgili gözlerin yüzün gidiyor
Anımsadığım geçmiş şu köprüde
Yumruklar havada nümayiş sonra polis copu ve jandarma dipçiği
Yaşanmış ne varsa bir hayal gibi kalıyor o mühürlenmiş uzakta

Yaktığı ateşi seyrediyorum sokaklarda hazla yağmurun
İnsanların ruhunda bıraktığı ateşi aşk gibi umut gibi
Yangın yerindeyiz yanıyor her yer

Ömür böyle diye düşünüyorum
Çelik gibi sıkıyor boğazımı
Elimi uzatıyorum geçmişe
Yağmur tutuyor ellerimden yalnız şu viran olmuş yıllarım yerine
Su olup akıyor yağmur
Bir dava uğruna kaybolan elli dört yaşım