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बालाजि / भानुभक्त आचार्य

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यति दिन पछि मैले आज बालाजि देख्याँ,
पृथिवि तलभरीमा स्वर्ग हो जानि लेख्याँ।
वरिपरि लहरामा झूलि बस्न्या चरा छन्,
मधुर वचन बोली मन् लिँदा क्या सुरा छन्।।१।।

याँहाँ बसेर कविता यदि गर्न पाऊँ,
यस्देखि सोख अरु थोक म के चिताऊँ।
उस्माथि झन् असल सुन्दरि एक् नचाऊँ,
खैंचेर इन्द्रकन स्वर्ग यहीं बनाऊँ।।२।।