भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भटक रहा है दिमाग़ मेरा / नोमान शौक़

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:42, 15 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नोमान शौक़ }} Category:गज़ल <poem> भटक रहा है दिमाग़ मेरा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भटक रहा है दिमाग़ मेरा
मुझे मिले तो सुराग तेरा

गुलाब वाले अज़ाब निकले
भला भला सा था बाग मेरा

मैं दिल की ऐनक उतार फेंकू
मिले जो उससे दिमाग़ मेरा

न बुझ रहा है कि सो सकूँ मैं
न जल रहा है चिराग मेरा

सभी लुटाते थे जान उस पर
मगर दिल ए बददिमाग़ मेरा