भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भविष्य / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:43, 31 अगस्त 2010 का अवतरण (भविष्य / ओम पुरोहित कागद का नाम बदलकर भविष्य / ओम पुरोहित ‘कागद’ कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दूर
बर्बर रेगिस्तान में खड़ा
बिना पत्तों का पेड़
बोझ से मुक्‍त टहनियां
अनजाने में रोंदी गई
सूख-सूख कर
झरी पत्तियां,
अस्तित्व का अहसास;
पीली पत्तियों की खड़खड़ाहट
अनिश्‍चय और अस्मञ्जस के अंधकार में
अन्तर अकुलाए।