भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मछली का गीत / रमेश रंजक

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 20 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |अनुवादक= |संग्रह= रमेश र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चे --
बोल री मछली ! बोल री मछली ! कितना-कितना पानी ?
डुबकी लेकर हमें बता दे नदिया की दीवानी ।

मछली --
घाट-किनारे घुटनों-घुटनों बीच धार लासानी ।
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।

बच्चे --
कैसे पार करें यह नदिया, हम बालक बेचारे ?

मछली --
पानी में मत घुसना वर्ना डूब जाओगे सारे ।
ले लो नाव किसी नाविक से धारा है तूफ़ानी
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।

बच्चे --
हम थलवासी तुम जलवासी दोनों हैं मस्ताने ।
अलग-अलग दोनों की दुनिया अलग-अलग अफ़साने ।

मछली --
इसीलिए कहती, पानी से करना मत शैतानी ।
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।