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मया के जोत जगा ले रे / पीसी लाल यादव

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धन-दोगानी ओरिया के छईंहा,
मया अजर-अमर हे भईया।

मया के जोत जगा ले रे... संगवारी मोर
पिरित के फूल बगरा ले रे... संगवारी मोर।

धन तो आवय चरिदिनिया,
धन के राहत ले तोरे दुनिया।
धन सिरागे त नता सिरागे
माया के उझरगे कुरिया॥
धन के राहत धनी हे कंगाल,
लोभ-लालच जी के जंजाल।

मूरख मन ल समझाले रे... संगवारी मोर।

मया-पिरित ले मितानी बाढ़े,
जरत हिरदय जुड़ मन हर माढ़े।
मंदरस कस गुरतुर भाख ले
जग-जिनगी म पिरित बाढ़े॥
मया ले मिलथे मान इहाँ जी,
मया म हे भगवान इहाँ जी।
मया ले जिनगी उजरा ले रे... संगवारी मोर।

मया बिन जग हवय सुन्ना,
मया बिना जिनगी हे उन्ना।
दया-मया ले मया पनकय,
मया नई चिन्हे नवा-जुन्ना॥
मया-पिरित के निरमल धारा,
भवसागर ले लगाय किनारा।
मया के गीत गा ले रे... संगवारी मोर