भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
महफ़िल का नूर मरजा-ए-अग़्यार कौन है / शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:21, 14 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी |संग्रह= }} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)
महफ़िल का नूर मरजा-ए-अग़्यार कौन है
हम में हलाक ताला-ए-बे-दार कौन है
हर लम्हे की कमर पे है इक महमिल-ए-सुकूत
लोगो बताओ क़ातिल-ए-गुफ़्तार कौन है
घर घर खिले हैं नाज़ से सूरज-मुखी के फूल
सूरज को फिर भी माना-ए-दीदार कौन है
पत्थर उठा के दर्द का हीरा जो तोड़ दे
वो कज-कुलाह बाँका तरह-दार कौन है