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महानता का मार्ग / राजेन्द्र राजन

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जब उन्हें नहीं सूझ रहा था कोई जवाब
उन्होंने ढूँढ़ लिया आख़िरकार
असल सवालों से बचने का तरीका नायाब

देश के इस कोने से उस कोने तक
वे उठाएँगे ऐसा शोर
कि जन से जुड़ीं तमाम आवाज़ें अनसुनी हो जाएँ
न्याय की तमाम लड़ाइयाँ हो जाएँ बेकार

वे देशभक्ति को बना देंगे एक सियासी कारोबार
जिसपर हो उनका एकाधिकार

अगर तुम उनसे असहमत हो
और आवाज़ उठाने की हिम्मत भी दिखाते हो
तो वे कहेंगे — देश की आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी
मानो देश का मतलब सिर्फ़ एक पार्टी
सिर्फ़ एक सरकार
सिर्फ़ उनके विचार
देश का मतलब देश के सब लोग नहीं

यह देशभक्ति की कैसी परिभाषा है
जो देश के लिए कुछ करने के जज्बे से नहीं
कुछ न कर पाने की ग्लानि से नहीं
बस, इस दम्भ से भरी है
कि जो हमारे साथ हैं देशभक्त हैं
बाक़ी सब गद्दार

यह देशभक्ति की कैसी परिभाषा है
जिसमें सारे कुकर्म हो जाते हैं माफ़
मारा जाता है इनसाफ़

यह देशभक्ति की कैसी परिभाषा है
जो किसी को उन्माद से
और किसी को दहशत से भर देती है

मगर वे कहते हैं
यही है महानता का मार्ग