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महुए के पीछे से झाँका है चाँद / रामनरेश पाठक

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महुए के पीछे से झाँका है चाँद
पिया आ

आँगन में बिखराए जूही के फूल
पलकों तक तीर आये सपनों के कूल
नयन मूँद लो, बड़ा बांका है चाँद
पिया आ

बाँट गयी सान्झिल हवाएं पराग
बांकी स्वर लौट गए, शेष वही राग
टेसू के फूल-सा टहका है चाँद
पिया आ

प्रीत से नहाया है तन का हिरन
चुपके से चुनता है क्वाँरी किरण
जीतो तो इससे लड़ाका है चाँद
पिया आ ।