भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुसहर / अच्युतानंद मिश्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:27, 6 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अच्युतानंद मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> गाँव से लौ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गाँव से लौटते हुए
इस बार पिता ने सारा सामान
लदवा दिया
ठकवा मुसहर की पीठ पर

कितने बरस लग गए ये जानने में
मुसहर किसी जाति को नहीं
दुःख को कहते हैं