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मोतियों की तरह चेहरा तेरा सच्चा लगता / इकराम राजस्थानी
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मोतियों की तरह चेहरा तेरा सच्चा लगता,
हमको दुनिया में कोई और न अच्छा लगता।
तेरे माथे पे जो बिंदिया है, सलामत रखना,
ये अँधेरों में कोई चाँद चमकता लगता।
किस तरह आँख मिलायें, कभी ये तो बतला,
तेरी पलकों पे सदा शर्म का पहरा लगता।
मैंने माँगा था इबादत में, इन्हीं लमहों को,
साथ में तेरे मुझे वक्त भी ठहरा लगता।