भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

याद-1 / प्रभात

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:06, 7 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभात |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> सूखी धर...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूखी धरती पर झुकती है जैसे
ख़ामोश काली घटाएँ
झुक रही है मेरे जीवन के सूखे विवरणों पर
तुम्हारी याद